Physical Geography Part -3
In This Part
1.पृथ्वी की उत्पत्ति
2.बिग बैंग सिद्धांत
3.तारों का निर्माण
4.ग्रहों का निर्माण
5.सौरमंडल
6.चंद्रमा की उत्पत्ति
7.भूपर्पटी का विकास
पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित समय-समय पर
विभिन्न विद्वानों एवं दार्शनिकों ने अपने
-अपने विचार व्यक्त किए हैं।
पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित दो प्रकार की
विचारधारा है आरंभिक सिद्धांत और आधुनिक सिद्धांत।
सबसे पहले आरंभिक सिद्धांतों की
व्याख्या करेंगे।
वैसे तो पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में
विभिन्न दार्शनिकों ने एवं वैज्ञानिकों ने अनेक पर कल्पनाएं प्रस्तुत की हैं इनमें
से एक प्रारंभिक एवं लोकप्रिय मत जर्मन दार्शनिक की एमैनुअल कांट का है।
इन्हीं के सिद्धांत को 1796
ईस्वी में गणितज्ञ लाप्लास ने इसका संशोधन प्रस्तुत किया जिससे निहारिका परिकल्पना
का गया। निहारिका से ग्रहों का निर्माण
धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ है जो सूर्य की व्यवस्था से
संबंधित है।
बाद में 1980 में चैंबर्लिन एवं मॉल्टन ने कहा है कि ब्रह्मांड में एक भ्रमणशील तारा सूर्य के नजदीक से गुजरा जिसके परिणाम स्वरूप तारे के गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य की सतह से शिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकल कर अलग हो गया। यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सतह से बाहर निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारों ओर घूमने लगा और यही धीरे-धीरे संगठित होकर ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गया।
सर जींस और बाद में सर हेरोल्ड जाफरी ने इस मत
का समर्थन किया इसे ''दैतारक सिद्धांत" सिद्धांत कहा
गया।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति
आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित बिग बैंग सिद्धांत है। यह सिद्धांत ब्रह्मांड विस्तारित पर संकल्पना पर आधारित है। ब्रह्मांड विस्तारित संकल्पना में 1920 में एडविन हबल ने प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा हैं। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड में आकाशगंगा है यह एक दूसरे से दूर जा रही हैं।
Image Source- NCERT
बिग बैंग सिद्धांत
बिग बैंग सिद्धांत का संबंध ब्रह्मांड की
उत्पत्ति से है बिग बैंग सिद्धांत एडमिन हब्बल द्वारा बताए गए
ब्रह्मांड विस्तारित संकल्पना पर आधारित है।
बिग बैंग के अनुसार ब्रह्मांड का विकास क्रमिक रूप से तीन चरणों में हुआ है।
प्रथम चरण प्रारंभ में वे सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्मांड
बना है अति छोटे गोलक के रूप में एक ही
स्थान पर स्थित है। इसका आयतन अधिक
सूक्ष्म था तापमान तथा घनत्व अनंत। यानी
यह गोलक आकार में बहुत छोटा था लेकिन
इसका तापमान और घनत्व बहुत अधिक था।
बिग बैंक के द्वितीय चरण की
प्रक्रिया में अति छोटे गलत में तापमान और घनत्व में
वृद्धि हुई इस प्रकार इस में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ है इसे ही महा विस्फोट कहा
गया है। इसे बिगबैंग का नाम दिया गया
वैज्ञानिकों का मानना है कि बिग बैंग की
घटना आज से 13.7 वर्षों पहले हुई थी।
ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित
हो गई विस्फोट के बाद एक सेकंड में वृद्ध विस्तार हुआ इसके बाद विस्तार की गति
धीमी हुई।
बिग बैंग
के होने के आरंभिक 3 मिनट के अंदर
पहले परमाणु का निर्माण हुआ।
बिग बैंग के अनुसार तृतीय चरण
में तीन लाख वर्षों के दौरान तापमान में गिरावट आई एवं धीरे-धीरे तापमान और अधिक
कम होता चला गया। ब्रह्मांड पारदर्शी हो
गया ब्रह्मांड के विस्तार का अर्थ है। ब्रह्मांड के विस्तार के संबंधित अनेक
प्रमाणों के मिलने पर वैज्ञानिक समुदाय अब्रह्माण विस्तार सिद्धांत के ही पक्ष में
हैं।
तारों का निर्माण
ब्रह्मांड में सबसे अधिक भार तारों के पास है।
आरंभिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरंभिक
भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बालों में भिन्नता आई के परिणाम स्वरूप पदार्थों का
एकत्रण हुआ है।इसके फल स्वरुप आकाशगंगाओं
का विकास का आधार बना। आकाशगंगा असंग
तारों का समूह है। एक आकाशगंगा का विस्तार
इतना अधिक होता है कि इसकी दूरी को हजारों
प्रकाश वर्षों में मापी जाती है।
एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हज़ार एक लाख 50 हज़ार प्रकाश वर्ष के बीच में हो सकता है। आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस
से बने विशाल बादल के संचयन से होती है
जिसे निहारिका कहा जाता है। इसी बढ़ती हुई निहारिका में गैस के झुंड विकसित हुए
झुंड बढ़ते - बढ़ते घने कैसे गैसीय पिंड बने
जिनमें तारों का निर्माण आरंभ हुआ ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का
निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।
ग्रहों का निर्माण
गेहूं के निर्माण के संबंध में विभिन्न संकल्प में प्रस्तुत की गई हैं ग्रहों के निर्माण की निम्नलिखित अवस्थाएं मानी जाती हैं
प्रथम अवस्था
प्रथम अवस्था में तारे निहारिका के अंदर गैस के कुंठित ठंड है इन कुंडों में गुरुत्वाकर्षण बल से देसी बादल में क्रोड़ का निर्माण हुआ और इस जैसे क्रोड़ के चारों तरफ गए गैसीय धूल कणों की घूमती हुई तस्करी एक विकसित हुई।
द्वितीय अवस्था
द्वितीय अवस्था में गैसीय बादलों का सघनन आरंभ हुआ और क्रोड को ढकने वाला पदार्थ छोटे गोले के रूप में विकसित हुआ यह छोटे गोली गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस में जुड़ गए और बड़े पिण्ड बनना प्रारम्भ हुए।
तृतीय और अंतिम अवस्था में इन छोटे ग्रहणुओं से कुछ बड़े पिंड ग्रहों के रूप में बने और इस प्रकार ग्रहों का विकास हुआ
सौरमंडल
सौरमंडल में 8 ग्रह हैं। सौरमंडल का मुखिया सूर्य हैं। निहारिका को सौरमंडल का जनक माना जाता है उसके टूटने के बाद क्रोड से बनने की शुरुआत लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले हुई। हमारे सौरमंडल में सूर्य जोकि तारा है 8 ग्रह हैं 63 उपग्रह हैं एवं छोटे-छोटे अन्य आकाशीय पिंड है जिन्हें धूमकेतु छुद्र ग्रह या उल्कापिंड का जाता है।
ग्रहों की सूर्य से स्थिति
बुध,शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण
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