बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आरम्भिक काल में भारतीय स्वतन्त्रता के लिये नये विचार रखे और अनेक प्रयत्न किये। अंग्रेज उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे।
तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरि, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से कानून की पढ़ाई की और 1879 में वकालत की डिग्री प्राप्त की।
तिलक एक उग्र राष्ट्रवादी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन चलाए। उन्होंने गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उपयोग लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट करने के लिए किया।
तिलक को कई बार जेल में डाला गया। उन्होंने 1897 में पुणे में हुए पुणे विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें छह साल के लिए जेल में डाल दिया गया।
तिलक की मृत्यु 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुई। उन्हें भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक माना जाता है।
तिलक के योगदानों में शामिल हैं:
- उन्होंने गणेश उत्सव को एक सार्वजनिक त्योहार के रूप में लोकप्रिय बनाया।
- उन्होंने शिवाजी उत्सव को एक सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में लोकप्रिय बनाया।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन चलाए।
- उन्होंने भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए "लोकमान्य" की उपाधि दी गई। इसका अर्थ है "लोगों द्वारा स्वीकृत"।
तिलक की कुछ प्रसिद्ध उक्तियां हैं:
- "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।"
- "हमारा उद्देश्य है कि भारत स्वराज प्राप्त करे।"
- "हम भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाएंगे।"
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