UPSC SPECIAL CURRENT AFFAIRS 8 SEPT-2023 IN HINDI


 

कर चोरी और राजनीतिक फंडिंग क्या है ?

हाल ही में आयकर विभाग ने उत्तर प्रदेश ,दिल्ली, हरियाणा , गुजरात महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में एक साथ कार्रवाई की है।

गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भारत में ऐसे कई दल हैं जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है आप और हम सभी जानते हैं जब कोई राजनीतिक दल बनाया जाता है तो उसको निर्वाचन आयोग से मान्यता प्राप्त करनी होती है और आजकल ऐसे कई छोटे-छोटे राजनीतिक दल लोग बना लेते हैं फिर उन्हें राजनीतिक फंडिंग की जाती है यह राजनीतिक फंडिंग किसी विशेष उद्देश्य से की जाती जैसे कि मान लीजिए कोई बड़ा राजनीतिक दल छोटे दलों को पैसा देता है और छोटा दल यानी गैर मान्यता प्राप्त दल को लोगों के बीच जाता है और बड़ी राजनीति दल के लिए लोगों को एकत्रित करता है इससे होता यह है कि बड़ा राजनीतिक दल चुनाव आयोग की नजर में नहीं पाता है लेकिन छोटा राजनीतिक दल जो मान्यता प्राप्त नहीं है और जिसका कोई राजनीतिक अस्तित्व ही नहीं है।

राजनीतिक दल कितने प्रकार के होते हैं ?

राजनीतिक दल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं एक तो क्षेत्रीय राजनीतिक दल और दूसरा राष्ट्रीय  राजनीतिक दल क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां वह पार्टियां हैं जो क्षेत्र विशेष में कार्य करती हैं जबकि राष्ट्रीय राजनीति पार्टियां वह हैं जो केंद्र में रहकर काम करती हैं केंद्र और राज्य स्तरीय पार्टियों का विभाजन उनके क्षेत्र क्षेत्र विशेष के विस्तार के आधार पर किया जाता है।

कर चोरी क्या है ?

यह तो बहुत आसानी से हर कोई समझ सकता है कि कर की चोरी करना कर चोरी कर कहलाता  है जैसे मान लीजिए हम जो भी आय  करते हैं उसका हमारे पास लेखा-जोखा होता है और एक सीमा के बाद हमें भारत सरकार को कर देना होता है ऐसे में कई ऐसी स्थिति आती हैं कई ऐसे लोग हैं , कई ऐसे संस्थाएं संगठन है, जो अपनी आय को किसी किसी माध्यम से छुपा लेते हैं और कर भुगतान नहीं करते हैं कर भुगतान करने पर हमारे देश को बहुत अधिक नुकसान होता है।

 

कर चुकाना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है और सरकार का अधिकार है कि कोई इन्हीं करो के माध्यम से सरकार देश में कल्याणकार्य कार्य करती है और अबसंरचना का विकास करते हैं।  यदि कोई कर की चोरी करता है तो इसका मतलब है वह देश के साथ गद्दारी या नाइंसाफी कर रहा है जिससे आम आदमी के विकास  और अबअब संरचना के विकास में बाधा आएगी और कर चोरी करना एक बहुत बड़ा अपराध है।


कर्तव्य पथ

 

राजपथ और सेंट्रल विस्टा का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है।  इससे संबंधित प्रस्ताव को  नई दिल्ली नगर  पालिका परिषद को विशेष बैठक में मंजूरी दी गई है।  सरकार ने कहा है कि इसके पीछे विचार यह है कि अपने इतिहास को लोकतंत्र की  राष्ट्र की थीम और मूल्यों पर बदला जाना चाहिए पहले राजपथ को किंग्सवे जनपद को क्वींसबे के नाम से जाना जाता था किंग्सवे का केबल हिंदी अनुवाद राजपथ किया गया था।  आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर ऐसा महसूस किया जा रहा है कि लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों के समसामयिक नए भारत के राजपथ का नाम बदलने की जरूरत है।

विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक का राजपथ और सेंटर विस्ता लॉन एनडीएमसी के अंतर्गत आता है जहां केंद्र सरकार की विभिन्न मंत्रालय, विभाग , कार्यालय स्थित है।  विजय चौक से इंडिया गेट के बीच राष्ट्रपति की लंबाई 1.8 किलोमीटर है। सड़क की चौड़ाई 12 मीटर है और फुटपाथ की चौड़ाई जो ग्रेनाइट पत्थर से बनी है दोनों तरफ 4 . 2 मीटर है।

 

नाम बदलने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई  ?

भारत सरकार का कहना है बिना किसी भेदभाव के राष्ट्र समाज परिवार और सभी लोगों के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए यह धारणा प्रेरित करती है कि अब भारत में जो सांस्कृतिक स्थल है और ऐतिहासिक स्थल हैं  उन्हें हमें अपनी पहचान देनी चाहिए जो नाम हमें गुलामी के रूप में प्राप्त हुए हैं उन्हें हमें बदलने की आवश्यकता है इससे आने वाली पीढ़ी में राष्ट्र भावना का विकास होगा और एक अपना तो भावना और अधिक जागेगी

सरकार का कहना है जहां जहां नजर जाएगी और हम गुलामी के निशान मिटाते  जाएंगे अर्थात जो नाम अंग्रेजों के ब्रिटिश सरकार के नाम पर हैं उसको मिटाने की हमारी पूरी कोशिश रहेगी ताकि और हम अच्छे से स्वतंत्रता को महसूस कर पाए और राष्ट्रीय भावना को और अधिक विकसित कर पाएं



दिल्ली सरकार ने हाल में ही दिल्ली में 1 जनवरी 2023  तक सभी प्रकार के पटाखे बेचने पर पाबंदी लगा दी है।

 

दिल्ली सरकार द्वारा सभी प्रकार के पटाखों पर पाबंदी लगाने का कारण हम सभी जानते हैं कि अक्टूबर-नवंबर के दिसंबर के महीने में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसी समय दशहरा एवं दिवाली के त्यौहार आते हैं जिनमे  बड़ी मात्रा में पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है।

पटाखों से बहुत अधिक प्रदूषण होता है इसके कारण हर वर्ष सरकार दिल्ली के आसपास पटाखों पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन इस बार दिल्ली सरकार ने कढ़ाई दिखाते हुए अभी से 1 जनवरी 2023 तक सभी प्रकार के ऑनलाइन और ऑफलाइन पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है।

पटाखों से होने वाले नकारात्मक प्रभाव

 

पटाखों से बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी होता है और प्रदूषण में नाइट्रेट ऑक्साइड सल्फर ऑक्साइड होते जो  अम्ल वर्षा का भी कारण बनते हैं। साथ -साथ  सांस संबंधी बीमारी और आंख संबंधी बीमारी भी इसमें हो सकती है।

 

दिल्ली के साथ-साथ अन्य राज्यों पर भी इस तरह की पाबंदियां लगाई जानी चाहिए क्योंकि प्रदूषण किसी क्षेत्र विशेष की समस्या अधिक हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं है कि दिल्ली के अलावा प्रदूषण नहीं है। इसलिए दिल्ली के अलावा भी राज्यों में भी कुछ समय के लिए सीमित मात्रा में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने  चाहिए।

 

दिल्ली एवं एनसीआर यानी दिल्ली का आसपास का क्षेत्र सर्दी आते आते ही शहर जहर के चेंबर के रूप में बदल जाता है।  आप और हम सभी जानते हैं जो हमारी सांस और आंखों के लिए बहुत अधिक हानिकारक है।  इस समय दिल्ली के आसपास क्षेत्रों में सांस संबंधी आंखों संबंधी बीमारियां बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।

 

नवंबर दिसंबर में अचानक से तापमान में कमी भी एक प्रदूषण का कारण बनती है क्योंकि धूल के नीचे बैठने लगते हैं और जो वायु और नमी के साथ प्रक्रिया अभिक्रिया करते हैं।

 

Positive secularism is allowed:

student to SC in hijab case

हिजाब मामले में छात्र से सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता की अनुमति है: SC


कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर रोक के मामले में सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है किसी को हिजाब पहनने से नहीं रोका जा सकता है लेकिन यहां सवाल है स्कूल में पहनने का क्या स्कूल में यूनिफार्म की जगह हिजाब को अनुमति दी जा सकती है ?

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हर प्रोफेशन का  अपना एक ड्रेस कोड होता है और यह ड्रेस कोड हमें सभी को अपनाना चाहिए जैसे खेल के मैदान में खिलाड़ियों का भी ड्रेस कोड होता है और रेस्टोरेंट में भी ड्रेस कोड होता है तो इस तरह से हर काम में अपना  एक ड्रेस कोड होता है और जो हर धर्म और संस्कृति से ऊपर है यह एक आर्थिक प्रक्रिया है ना कि धार्मिक या सांस्कृतिक। 


वही हिजाब की वकालत करने वाले वकील का कहना है कि यदि हिजाब को रोका गया तो संविधान के अनुच्छेद 19, 21, 25 से मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और शिक्षा का अधिकार प्रभावित होगा। 


याचिकाकर्ता के वकील ने यह दलील दी है उन्होंने कई अन्य देशों के बारे में भी बताया है कि अन्य देशों में भी जैसे अमेरिका कनाडा में भी इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं।  तभी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप अपने देश की बात करें किसी अन्य देश की नहीं।  सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि राइट टू ड्रेस अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार का हिस्सा है इस पर जस्टिस ने कहा आप इस दलील  को लॉजिकल एंड तक नहीं ले जा सकते क्योंकि राइट टू ट्रेस में राइट टू हंड्रेड भी शामिल है। 

 कोर्ट का समय-समय पर यह बात कहते रहे हैं  कि किसी को किसी के पहनावे से एतराज नहीं है लेकिन किसी संस्था या स्कूल की ड्रेस कोड का सम्मान करना सभी का कर्तव्य है। 



0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने