चंपई सोरेन
चपई सोरेन का परिचय
चंपई सोरेन झारखंड राजनीतिक एक बड़े नेता हैं। वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से जुड़े हुए हैं। चंपई सोरेन झारखंड आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। वह झारखंड के जनजातीय आंदोलन के एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। चंपई सोरेन अब तक सात बार एम.एल.ए बन चुके हैं।
पिछली बार हेमंत सोरेन के जेल जाने की स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन अचानक 3 जुलाई को उन्हें मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन के जेल से वापस आ जाने के बाद हटा दिया गया हालांकि यह पहले से तय था कि हेमंत सोरेन के जेल से आने के पश्चात उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हेमंत सोरेन द्वारा चंपई सोरेन को हटाए जाने के विरोध में चंपी सोरेन के समर्थकों द्वारा नाराजगी जताई जा रही है और चौपाई सोरेन द्वारा भी इसे अपना अपमान बताया है
चंपई सोरेन का झारखण्ड राजनीति में योगदान
चंपई सोरेन के समर्थन को का कहना है कि वह अपना त्यागपत्र स्वयं देने वाले थे अचानक से मीटिंग बुलाएगी जबकि मीटिंग बुलाने मुख्यमंत्री का काम होता है और उस समय मुख्यमंत्री चंपई सोरेन थे उन्हें मीटिंग के बारे में बताया भी नहीं गया और मीटिंग के बीच में ही उनसे त्यागपत्र मांगा गया। जिससे मुख्यमंत्री रहे चंपल सोरेन एवं उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों में गहरा दुख है। चंपई सोरेन का कहना है कि उन्हें सत्ता का कोई लालच नहीं है, लेकिन जिस तरह से हमें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है उससे हमारी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचती है।
चंपई सोरेन ने अपने X अकाउंट में भविष्य की योजनाओं के बारे में लिखते हुए बताया है कि उनके पास नई पार्टी बनाने का भी रास्ता खुला है और वर्तमान पार्टी जिस पार्टी में उसे पार्टी में भी रह सकते हैं और हो सकता है कि वह राजनीति से संन्यास भी ले लें।
चंपई सोरेन चर्चा में क्यों ?
पिछले दिनों चंपई सोरेन दिल्ली आए इसके चलते सोशल मीडिया एवं मीडिया में बहुत सारी चर्चाएं रही कि चंपई सोरेनभाजपा में शामिल होने वाले हैं और हो सकता है वह हेमंत सोरेन का साथ छोड़ दें लेकिन चौपाई सोरेन ने मीडिया को बताया कि वह दिल्ली किसी व्यक्तिगत काम से आए हैं अर्थात अपनी बेटी से मिलने आए हैं उनकी यह राजनीतिक यात्रा नहीं है।
चंपई सोरेन की दिल्ली यात्रा और अपने ट्विटर पर दिए गए बयान में झारखंड की राजनीति में एक गर्माहट आ गई है क्योंकि चंपई सोरेन कोई मामूली नेता नहीं है वह शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन से जुड़े रहे हैं और पार्टी में एक बड़ा स्थान है बड़ा सम्मान है .
उन्होंने झारखंड में जनजाति आंदोलन के लिए बहुत कुछ दिया है और झारखंड के लिए एक नई प्रगति और भी ले जाने का कार्य चंपई सोरेन ने किया है। आगे देखते हैं चंपी सोरेन कौन सा फैसला लेते हैं हालांकि सच है भारत में जनजातीय नेताओं को स्थानीय नेताओं का बढ़ना हमारे देश की राजनीति के लिए अच्छा है, क्योंकि स्थानीय नेता एवं जनजाति नेता एवं पिछड़े क्षेत्र के नेता अगर तभी किसी भी क्षेत्र विशेष का अथवा संपूर्ण भारत का विकास हो सकता है।
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