सिंधु जल संधि
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता है जो सिंधु नदी प्रणाली के पानी के उपयोग को नियंत्रित करता है। संधि पर 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह 1960 से लागू है। संधि में सिंधु नदी प्रणाली के पांच नदियों के पानी के उपयोग के लिए 12 लेख समझौते हैं।
सिंधु जल संधि के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- सिंधु नदी प्रणाली की पांच नदियों के पानी का उपयोग भारत और पाकिस्तान के बीच समान रूप से किया जाएगा।
- भारत को सिंधु, सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदियों के पानी का उपयोग करने की अनुमति होगी।
- पाकिस्तान को सिंध, सतलुज और झेलम नदियों के पानी का उपयोग करने की अनुमति होगी।
- सिंधु नदी प्रणाली के पानी के उपयोग के लिए एक संयुक्त आयोग का गठन किया जाएगा।
सिंधु जल संधि के महत्व निम्नलिखित हैं:
- यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के पानी के उपयोग को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद का समाधान करती है।
- यह संधि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ावा देती है।
सिंधु जल संधि की आलोचना निम्नलिखित हैं:
- कुछ लोगों का मानना है कि यह संधि भारत के पक्ष में नहीं है।
- कुछ लोगों का मानना है कि यह संधि पाकिस्तान के पक्ष में नहीं है।
सिंधु जल संधि के बाद के विकास निम्नलिखित हैं:
- संधि के बाद, दोनों देशों ने सिंधु नदी प्रणाली के पानी का उपयोग करने के लिए कई परियोजनाओं को लागू किया है।
- इन परियोजनाओं में भाखड़ा नांगल बांध, टिहरी बांध और लद्दाख में कई बांध शामिल हैं।
- इन परियोजनाओं से दोनों देशों को बिजली और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हुआ है।
निष्कर्ष
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता है। यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के पानी के उपयोग को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद का समाधान करती है और शांति और स्थिरता को बढ़ावा देती है।
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