Geography for ugc mcq part -1

 

Geography for ugc mcq part -1


Q 1.भूकंप की तीव्रता को किस पैमाने पर मापा जाता है?

(a) रिक्टर पैमाना

(b) मस्काली पैमाना

(c) Mercalli पैमाना

(d) उपरोक्त सभी


2.भूकंप के क्या प्रभाव हो सकते हैं?

(a) भवन और अन्य संरचनाओं का क्षय

b.भूस्खलन

(c) सुनामी

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 3.निम्नलिखित में से कौन सा कारक एक समुद्र तट के निर्माण में शामिल है?

(a) अपरदन

(b) ज्वालामुखी गतिविधि

(c) भूकंप

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 4.निम्नलिखित में से कौन सा कारक एक झील के निर्माण में शामिल है?

(a) ज्वालामुखी गतिविधि

(b) भूकंप

(c) अपरदन

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 5.निम्नलिखित में से कौन सा कारक एक घाटी के निर्माण में शामिल है?

(a) अपरदन

(b) ज्वालामुखी गतिविधि

(c) भूकंप

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 6.निम्नलिखित में से कौन सा कारक एक ज्वालामुखी द्वीप के निर्माण में शामिल है?

(a) ज्वालामुखी विस्फोट

(b) समुद्र तल का उत्थान

(c) समुद्र तल का अवसादन

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 7.आग्नेय चट्टानें कैसे बनती हैं?

(a) लावा के ठंडा होने और ठोस होने से

(b) अवसादों के जमने से

(c) मौजूदा चट्टानों के परिवर्तन से

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 8. अवसादी चट्टानें कैसे बनती हैं?

(a) लावा के ठंडा होने और ठोस होने से

(b) अवसादों के जमने से

(c) मौजूदा चट्टानों के परिवर्तन से

(d) उपरोक्त सभी

 

Q 9.समस्थिति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया

A) प्राट

B) एयरी

C) डटन

D) होम्स

 

10.प्लीस्टोसीन हिम काल में किसका निर्माण नहीं हुआ था

A) उत्तरी अमेरिका की वृहद झील

B) बाल्टिक सागर

C) हिमालय पर्वत

D) फिनलैंड


ANS & Explanation 

1. a

रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 1 से 10 के बीच मापी जाती है। 1 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को मामूली कहा जाता है, और वे आमतौर पर केवल भूकंपीय उपकरणों द्वारा ही महसूस किए जाते हैं। 3 से 4.9 तीव्रता वाले भूकंप को हल्के कहा जाता है, और वे अक्सर दूरस्थ क्षेत्रों में महसूस किए जा सकते हैं। 5 से 5.9 तीव्रता वाले भूकंप को मध्यम कहा जाता है, और वे स्थानीय क्षेत्रों में थोड़ी क्षति का कारण बन सकते हैं।

6 से 6.9 तीव्रता वाले भूकंप को मजबूत कहा जाता है, और वे स्थानीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण क्षति का कारण बन सकते हैं। 7 से 7.9 तीव्रता वाले भूकंप को बड़े कहा जाता है, और वे व्यापक क्षेत्रों में भारी क्षति का कारण बन सकते हैं। 8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप को बहुत बड़े कहा जाता है, और वे व्यापक क्षेत्रों में विनाशकारी क्षति का कारण बन सकते हैं। 9 से 10 तीव्रता वाले भूकंप को अद्वितीय कहा जाता है, और वे मानव इतिहास में केवल कुछ ही बार हुए हैं।


2 .d

भूकंप के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • जनहानि: भूकंप के कारण भवन, पुल, सड़कें आदि क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाते हैं, जिससे लोगों को जान-माल का नुकसान होता है।
  • संपत्ति क्षति: भूकंप के कारण भवनों, वाहनों, फसलों आदि को भारी नुकसान होता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: भूकंप के कारण भूस्खलन, सुनामी, बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।
  • आर्थिक प्रभाव: भूकंप के कारण व्यापार, उद्योग, कृषि आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।

3 .a

समुद्र तट एक तटीय रेखा है जो समुद्र या महासागर के किनारे स्थित है। समुद्र तट आमतौर पर रेत, चट्टानों या अन्य तलछट से बने होते हैं। वे अक्सर मनोरंजन, खेल और पर्यटन के लिए लोकप्रिय स्थान होते हैं।

4.a

झील के निर्माण के तरीके निम्नलिखित हैं:

  • प्राकृतिक तरीके: झीलें प्राकृतिक रूप से कई तरीकों से बनती हैं, जैसे कि:

    • हिमनद के पिघलने से: हिमनद के पिघलने से भूमिगत गुफाएं और नदियां बन सकती हैं, जो बाद में झीलों में विकसित हो सकती हैं।
    • भूस्खलन से: भूस्खलन के कारण नदी के मार्ग को अवरुद्ध किया जा सकता है, जिससे झील बन सकती है।
    • ज्वालामुखी विस्फोट से: ज्वालामुखी विस्फोट के बाद, लावा और राख जमा हो सकता है, जो झीलों का निर्माण कर सकता है।
  • कृत्रिम तरीके: झीलें कृत्रिम रूप से भी बनाई जा सकती हैं, जैसे कि:

    • बांध बनाकर: बांध बनाकर नदियों को रोका जा सकता है, जिससे झील बन सकती है।

5 . a

घाटी के निर्माण के दो मुख्य तरीके हैं:

  • प्राकृतिक तरीके: घाटियाँ प्राकृतिक रूप से कई तरीकों से बनती हैं, जैसे कि:

    • नदियों द्वारा: नदियों के प्रवाह से पहाड़ों को काटकर घाटियाँ बन सकती हैं।
    • हिमनदों द्वारा: हिमनदों के पिघलने से घाटियाँ बन सकती हैं।
    • भूकंपों और भूस्खलनों द्वारा: भूकंपों और भूस्खलनों से पहाड़ों को ढहकर घाटियाँ बन सकती हैं।
  • कृत्रिम तरीके: घाटियाँ कृत्रिम रूप से भी बनाई जा सकती हैं, जैसे कि:

    • खनन द्वारा: खान खोदकर घाटियाँ बनाई जा सकती हैं।
    • बांध बनाकर: बांधों के निर्माण से भी घाटियाँ बन सकती हैं।

6 .d

ज्वालामुखी द्वीप समुद्र तल पर ज्वालामुखी विस्फोट के परिणामस्वरूप बनते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला लावा और राख समुद्र में जमा होकर द्वीप का निर्माण करते हैं। ज्वालामुखी द्वीपों का आकार और आकार ज्वालामुखी विस्फोट की शक्ति और आवृत्ति पर निर्भर करता है।

ज्वालामुखी द्वीपों के निर्माण की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी विस्फोट से लावा, राख, और गैसें समुद्र में निकलती हैं।
  2. लावा का जमना: लावा समुद्र में ठंडा होकर ठोस हो जाता है।
  3. राख का जमना: राख समुद्र में जमा होकर तलछट बनाती है।
  4. द्वीप का निर्माण: लावा और राख का जमा होना द्वीप का निर्माण करता है।

ज्वालामुखी द्वीपों का निर्माण एक धीमी प्रक्रिया है। कुछ ज्वालामुखी द्वीप लाखों सालों में बनते हैं।

ज्वालामुखी द्वीपों को आमतौर पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है:

  • ऊंचे द्वीप: ऊंचे द्वीपों का निर्माण बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के परिणामस्वरूप होता है। इन द्वीपों में अक्सर सक्रिय ज्वालामुखी होते हैं।
  • छोटे द्वीप: छोटे द्वीपों का निर्माण छोटे ज्वालामुखी विस्फोटों के परिणामस्वरूप होता है। इन द्वीपों में अक्सर निष्क्रिय ज्वालामुखी होते हैं।

ज्वालामुखी द्वीप दुनिया भर में पाए जाते हैं। कुछ सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी द्वीपों में शामिल हैं:

  • हवाई द्वीप समूह, संयुक्त राज्य अमेरिका
  • आइस्लैंड
  • जापान
  • फिलीपींस
  • इंडोनेशिया

7. a

आग्नेय चट्टानें पृथ्वी की सतह पर या उसके अंदर मैग्मा के ठंडा और जमने से बनती हैं। मैग्मा पृथ्वी की आंतरिक परतों में पाया जाने वाला गर्म, पिघला हुआ चट्टान है। जब मैग्मा पृथ्वी की सतह पर आता है, तो इसे लावा कहा जाता है। लावा ठंडा होने पर, यह ठोस चट्टान में बदल जाता है।

आग्नेय चट्टानों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है:

  • अंतर्ग्रही आग्नेय चट्टानें: अंतर्ग्रही आग्नेय चट्टानें पृथ्वी की आंतरिक परतों में मैग्मा के ठंडा और जमने से बनती हैं। ये चट्टानें आमतौर पर क्रिस्टलीय होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे छोटे, दिखाई देने वाले क्रिस्टल होते हैं। अंतर्ग्रही आग्नेय चट्टानों के उदाहरणों में ग्रेनाइट, पोरफाइरी, और डायोराइट शामिल हैं।
  • उपग्रह आग्नेय चट्टानें: उपग्रह आग्नेय चट्टानें पृथ्वी की सतह पर लावा के ठंडा और जमने से बनती हैं। ये चट्टानें आमतौर पर अनाकार होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे क्रिस्टल नहीं होती हैं। उपग्रह आग्नेय चट्टानों के उदाहरणों में बेसाल्ट, अग्निशिला, और टफ शामिल हैं।

आग्नेय चट्टानें पृथ्वी की सबसे आम चट्टानें हैं। वे दुनिया के अधिकांश पर्वतों, पहाड़ों, और मैदानों का निर्माण करती हैं। आग्नेय चट्टानें खनिज संसाधनों, जैसे कि लोहा, तांबा, और सोना का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

8 .b

अवसादी चट्टानें पृथ्वी की सतह पर मौजूद पदार्थों के जमा होने और दबाव के कारण बनती हैं। ये पदार्थ आमतौर पर अपक्षय और अपरदन के कारण पहले से मौजूद चट्टानों से बनते हैं।

अवसादी चट्टानों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है:

  • पोषक चट्टानें: पोषक चट्टानें पहले से मौजूद चट्टानों के क्षरण से बनती हैं। इन चट्टानों में कण, जैसे कि रेत, बजरी, और मिट्टी होते हैं।
  • रसायनिक चट्टानें: रसायनिक चट्टानें पानी, हवा, या अन्य रासायनिक पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया के कारण बनती हैं। इन चट्टानों में चूना पत्थर, जिप्सम, और लवण शामिल हैं।
  • जीवाश्म चट्टानें: जीवाश्म चट्टानें जीवों के क्षय और दबाव के कारण बनती हैं। इन चट्टानों में कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस शामिल हैं।

अवसादी चट्टानें पृथ्वी की सबसे आम चट्टानें हैं। वे दुनिया के अधिकांश महाद्वीपों और समुद्रों का निर्माण करती हैं। अवसादी चट्टानें खनिज संसाधनों, जैसे कि लोहा, तांबा, और सोना का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

अवसादी चट्टानों के निर्माण की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. अपक्षय और अपरदन: पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानें अपक्षय और अपरदन के कारण टूट जाती हैं।
  2. परिवहन: अपक्षय और अपरदन से बने कण हवा, पानी, या बर्फ द्वारा परिवहन कर दिए जाते हैं।
  3. जमा: कण किसी स्थान पर जमा हो जाते हैं।
  4. दबाव: जमा कणों पर दबाव पड़ता है, जिससे वे एक साथ चिपक जाते हैं।

9 .c

समस्थिति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1889 में अमेरिकी भूविज्ञानी क्लैरेंस डटन ने किया था। उन्होंने इस शब्द का प्रयोग पृथ्वी की भूपर्पटी के सतही उच्चावच के रूप में स्थित पर्वतों, पठारों और समुद्रों के उनके भार के अनुसार भूपर्पटी के नीचे स्थित पिघली हुई चट्टानों के ऊपर संतुलन बनाए रखने की अवस्था का वर्णन करने के लिए किया था।

डटन ने इस सिद्धांत का प्रस्ताव रखा कि पृथ्वी की भूपर्पटी एक तरल परत पर तैरती है, जिसे एस्थेनोस्फीयर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सतह पर मौजूद उच्चावच के कारण, भूपर्पटी का कुछ हिस्सा एस्थेनोस्फीयर में अधिक गहराई तक दबा होता है, जबकि कुछ हिस्सा एस्थेनोस्फीयर में कम गहराई तक दबा होता है। इस प्रकार, पृथ्वी की भूपर्पटी का वजन एस्थेनोस्फीयर के दबाव से संतुलित होता है।

10.d

प्लीस्टोसीन हिमयुग पृथ्वी के इतिहास में एक हिमयुग था जो लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 11,700 वर्ष पहले समाप्त हुआ। इसे अक्सर "महान हिमयुग" के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस अवधि के दौरान पृथ्वी की सतह पर व्यापक बर्फ की चादरें और अन्य ग्लेशियर बार-बार बनते थे।

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