नाटो

 

                                            नाटो 

चर्चा में क्यों :

नाटो के सदस्य देश शीतयुद्ध के बाद सबसे बड़े सैन्य अभ्यास करने की योजना बना रहे हैं। यह सैन्य अभ्यास अगले वर्ष बसंत ऋतु में होगा। इस सैन्य अभ्यास में पांच सौ से सात सौ के बीच लड़ाकू विमान, 50 से अधिक जहाज और लगभग 41 हजार सैनिकों के शामिल होने की संभावना है।

नाटो या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन एक सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है। संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके अन्तर्गत सदस्य राज्य बाहरी आक्रमण की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे।



नाटो के 30 सदस्य देश हैं:

  • अल्बानिया
  • बेल्जियम
  • बुल्गारिया
  • क्रोएशिया
  • कनाडा
  • चेक गणराज्य
  • डेनमार्क
  • एस्टोनिया
  • फ़िनलैंड
  • फ्रांस
  • जर्मनी
  • ग्रीस
  • हंगरी
  • आइसलैंड
  • इटली
  • लातविया
  • लिथुआनिया
  • लक्ज़मबर्ग
  • नीदरलैंड
  • नॉर्वे
  • पोलैंड
  • पुर्तगाल
  • रोमानिया
  • स्लोवाकिया
  • स्लोवेनिया
  • उत्तर मैसेडोनिया

नाटो का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सुरक्षा को बढ़ावा देना और सामूहिक सुरक्षा की नीति के माध्यम से शांति और स्थिरता को बनाए रखना है। नाटो अपने सदस्य देशों के लिए सैन्य सहयोग, प्रशिक्षण और अभ्यास प्रदान करता है। यह आतंकवाद, हथियारों के प्रसार और अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भी काम करता है।

नाटो की स्थापना के बाद से, इसने कई बार युद्ध में हस्तक्षेप किया है। इनमें शामिल हैं:

  • कोरियाई युद्ध (1950-1953)
  • यूगोस्लाविया में युद्ध (1999)
  • अफगानिस्तान में युद्ध (2001-वर्तमान)
  • इराक युद्ध (2003-2011)

नाटो की सदस्यता एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। एक देश को सदस्यता के लिए आवेदन करना होगा और संगठन के मानदंडों को पूरा करना होगा। इन मानदंडों में एक लोकतांत्रिक सरकार, एक बाजार अर्थव्यवस्था और एक मजबूत सैन्य शामिल हैं।



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